बà¥à¤‚देलखणà¥à¤¡ à¤à¤•à¥€à¤•à¥ƒà¤¤ पारà¥à¤Ÿà¥€ के राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संयोजक संजय पाणà¥à¤¡à¥‡à¤¯ ने कहा कि सà¤à¥€ पातà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤¯à¥‡ पूरी करने के बावजूद à¤à¥€ बà¥à¤‚देलखंड को अलग राजà¥à¤¯ नही बनाया जा रहा है । उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने कहा कि à¤à¤• बà¥à¤‚देली à¤à¤¾à¤·à¤¾ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ वाले बà¥à¤‚देलखंड पà¥à¤°à¤¾à¤‚त की मांग नई नहीं है। आजादी के पूरà¥à¤µ ओरछेश महाराज ने अपनी और अनà¥à¤¯ बà¥à¤‚देली रियासतों का हसà¥à¤¤à¤¾à¤‚तरण à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ संघ के ढांचे में करने के पूरà¥à¤µ पृथक बà¥à¤‚देलखंड की मांग बड़े जोर-शोर से उठाई थी, पर तब यह कहकर उसे अनसà¥à¤¨à¤¾ कर दिया गया था कि राजे-महाराजे किसी न किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अपनी सतà¥à¤¤à¤¾ बनाठरखने के लिठसामंती किसà¥à¤® का सूबा बà¥à¤‚देलखंड के रूप में बनाठरखना चाहते हैं। तब खà¥à¤¯à¤¾à¤¤ पतà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पं. बनारसीदास चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ ने ‘मधà¥à¤•à¤°’ पाकà¥à¤·à¤¿à¤• का à¤à¤• अलग बà¥à¤‚देलखंड अंक तक पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ किया था, जिससे न केवल बà¥à¤‚देलखंड पà¥à¤°à¤¾à¤‚त की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ जगजाहिर हà¥à¤ˆ वरन बà¥à¤‚देली à¤à¤¾à¤·à¤¾ की सामथà¥à¤°à¥à¤¯ à¤à¥€à¥¤ पर यह आवाज ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में जनता की मांग नहीं बन सकी।
हालांकि पृथक बà¥à¤‚देलखंड की आवाजें जब तब हवा में ही उठती रहीं, परंतॠअब सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ बहà¥à¤¤ बदल चà¥à¤•à¥€ हैं। आज यह मांग फिर से इसलिठतूल पकड़ रही है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बà¥à¤‚देलखणà¥à¤¡ वरà¥à¤·à¥‹ से गंà¤à¥€à¤° सूखे की चपेट में है और उतà¥à¤¤à¤°à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ की मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ मायावती ने बà¥à¤‚देलखंड पà¥à¤°à¤¾à¤‚त का शिगूफा छोड़ दिया है। शिगूफा इसलिठकि न तो केंदà¥à¤° सरकार दूसरा राजà¥à¤¯ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤—ठन आयोग बनाने जा रही है और न मधà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ सरकार इस दिशा में सोच रही है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बà¥à¤‚देलखंड का à¤à¤• बड़ा हिसà¥à¤¸à¤¾ तो मपà¥à¤° में सनà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ है और यदि मपà¥à¤° से इतना बड़ा हिसà¥à¤¸à¤¾ निकल जाà¤à¤—ा, तो बचेगा कà¥à¤¯à¤¾? कà¥à¤¯à¤¾ कोई राजà¥à¤¯ सरकार अपने इतने ‘पर’ काटना चाहेगी?
शायद नहीं, तब कैसे बनेगा बà¥à¤‚देलखंड? वह à¤à¥€ जब कि बà¥à¤‚देलखंड का राजनीतिजà¥à¤ž या तो à¤à¤¾à¤œà¤ªà¤¾à¤ˆ है या कांगà¥à¤°à¥‡à¤¸à¥€, समाजवादी या बसपाई, बà¥à¤‚देलखंडी तो शायद बचा ही नहीं। वह केवल बà¥à¤‚देलखंडी राजनीतिजà¥à¤ž तà¤à¥€ बनता है जब चà¥à¤¨à¤¾à¤µ हार जाता है या चà¥à¤¨à¤¾à¤µ जीतने के लिठनया नारा चाहिठहोता है। अनके राजनेता तो इसलिठपृथक बà¥à¤‚देलखंड नहीं चाहते हैं कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ नाम में ही ‘बà¥à¤‚देले सामंतवाद’ की बू आती है। हालांकि इसमें बà¥à¤‚देलखंड शबà¥à¤¦ का दोष नहीं है यह तो राजनीतिजà¥à¤žà¥‹à¤‚ के अलà¥à¤ªà¤œà¥à¤žà¤¾à¤¨ का परिचायक है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि बà¥à¤‚देलखंड नाम तो पड़ा दसवीं सदी में चंदेलों के पतन के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ विंधà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤² परà¥à¤µà¤¤ के कारण, विंधà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤² से बिंदेल और यही मà¥à¤–-सà¥à¤– से बà¥à¤‚देल हो गया।
इसके à¤à¤¤à¤¿à¤¹à¤¾à¤¸à¤¿à¤•, à¤à¥Œà¤—ोलिक, à¤à¤¾à¤·à¤¾à¤ˆ, सामाजिक, सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• आदि आधारों पर विचार करते हà¥à¤ उन बिंदà¥à¤“ं पर आते हैं, जिसके आधार पर लोग इसके नहीं बनने देने के पकà¥à¤· में बोलते हैं। कतिपय नेता कहते हैं यह चल नहीं पाà¤à¤—ा, लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ नहीं होगा। वे जरा बताà¤à¤‚ कि कà¥à¤¯à¤¾ हरियाणा, पंजाब, छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़, à¤à¤¾à¤°à¤–ंड बनने से पूरà¥à¤µ यह पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ उठाठगठथे? फिर अब ये पà¥à¤°à¤¾à¤‚त हैं या नहीं? जहां तक छोटे पà¥à¤°à¤¾à¤‚त बनने से पà¥à¤°à¤—ति होने का पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है तो हरियाणा की पà¥à¤°à¤—ति सबके सामने है। छतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¤—ढ़ बनने के बाद वहां की लोकà¤à¤¾à¤·à¤¾ को जो मान मिला है उससे पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• पहल तो ‘सरà¥à¤µà¤œà¤¨à¤¹à¤¿à¤¤à¤¾à¤¯’ हà¥à¤ˆ ही, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤à¤¾à¤·à¤¾ और à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤•à¤¤à¤¾ को à¤à¥€ कोई खतरा नहीं हà¥à¤† है।
पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• दोहन बढ़ा है और बिजली जैसी ऊरà¥à¤œà¤¾ उनके यहां ‘सरपà¥à¤²à¤¸’ में है। बà¥à¤‚देलखंड में नदियों की कमी नहीं है। बेतवा नदी इसकी रीढ़ है, केन, धसान आदि शिराठहैं पर सिंचाई, उदà¥à¤¯à¥‹à¤—, बिजली, सड़कें, शिकà¥à¤·à¤¾ आदि वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ परà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ नहीं है कि पृथक बà¥à¤‚देलखंड बनाया जा सके। राहà¥à¤² गांधी और मायावती तो केवल उपà¥à¤° के बà¥à¤‚देली सूबे की असलियत बता रहे हैं। अà¤à¥€ मपà¥à¤° के बà¥à¤‚देलखंड के पिछड़ेपन पर तो किसी का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ ही नहीं गया जहां के गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ अंचलों में सूखे और गरीबी ने किसानों को मरने-मारने के लिठविवश कर दिया है। 1955 में गठित पà¥à¤°à¤¥à¤® राजà¥à¤¯ पà¥à¤¨à¤°à¥à¤—ठन आयोग ने ‘बà¥à¤‚देलखंड पà¥à¤°à¤¾à¤‚त’ की सिफारिश की थी। यह à¤à¥€ कहा था कि यदि ‘बà¥à¤‚देलखंड राजà¥à¤¯ नहीं बना तो यह कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° नषà¥à¤Ÿ होता जाà¤à¤—ा’। बà¥à¤‚देलखंड पà¥à¤°à¤¾à¤‚त बनाने के अनà¥à¤¯ आधार तो इतने पà¥à¤°à¤¬à¤² हैं कि ततà¥à¤•à¤¾à¤² ही यह पà¥à¤°à¤¾à¤‚त बन जाना चाहिà¤à¥¤ 1958 में जब पं. नेहरू के समय à¤à¤¾à¤°à¤¤ में पà¥à¤°à¤¾à¤‚तों का पà¥à¤¨à¤°à¥à¤—ठन हà¥à¤† था, तो à¤à¤¾à¤·à¤¾ को पà¥à¤°à¤®à¥à¤– आधार माना गया था। उस समय à¤à¥€ बà¥à¤‚देली à¤à¤¾à¤·à¤¾ और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ को जानबूà¤à¤•à¤° इसलिठनजरअंदाज कर दिया गया था कि बà¥à¤‚देलखंड में कोई सशकà¥à¤¤ राजनेता नहीं था और ततà¥à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ उपà¥à¤° के नेता इतने दमदार थे कि बà¥à¤‚देलखंड पृथक पà¥à¤°à¤¾à¤‚त तो दूर उसके à¤à¤• हिसà¥à¤¸à¥‡ को तोड़कर उपà¥à¤° में जोड़े रखने को पं. नेहरू à¤à¥€ नहीं रोक पाà¤à¥¤ इसलिठवृंदावनलाल वरà¥à¤®à¤¾ के शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में ‘उलà¥à¤Ÿà¥‡ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤šà¤¿à¤¨à¥à¤¹’ से लटके बà¥à¤‚देलखणà¥à¤¡ के जिले जबरन उपà¥à¤°-मपà¥à¤° में ठूंस दिठऔर बà¥à¤‚देलखणà¥à¤¡ को तोड़े रखा।
12वीं सदी में आलà¥à¤¹à¤¾ उदल के शौरà¥à¤¯ के आगे दिलà¥à¤²à¥€à¤ªà¤¤à¤¿ पृथà¥à¤µà¥€à¤°à¤¾à¤œ, 16वीं सदी में छतà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤² के आगे मà¥à¤—ल और 19वीं सदी में लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤¬à¤¾à¤ˆ, मरà¥à¤¦à¤¨à¤¸à¤¿à¤‚ह आदि के आगे अंगà¥à¤°à¥‡à¤œ, बà¥à¤‚देलखंड में मनमानी नहीं कर सके थे। पर दà¥à¤°à¥à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ देखिठकि आजादी में अगणित बलिदान देने और सब कà¥à¤› लà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡ के बाद वही सतत संघरà¥à¤·à¤¶à¥€à¤² अंचल नेतृतà¥à¤µ के अà¤à¤¾à¤µ में आज खंड-खंड हो रहा है। à¤à¤• समान संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ वाला बà¥à¤‚देलखंड पà¥à¤°à¤¾à¤‚त बनाया जाना चाहिà¤.
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